वो केहते है हम गलत ...!

 

वो केहते है हम गलत ,
हमारे दुप्पटे के पल्लेभी उनकी नजर जाये तो उनके नजरों के दायरे से हमारा दुप्पटा गलत
अगर हम बोल पडे तो " निर्भया " 
और चुप रहे तो "निर्बल "
बोलणे से लेके चलणे तक 
उनके नजरो के उचनिच पर 
हमारी जिंदगी निर्भर 
पढ रही है बिटिया
मगर पढकर होशियारी दिखाये तो 
काट दो उनके पर
अरे हमने तो मय्या सिता को भी जिम्मेवार ठेहराया रामायण का 
तो कहॉं इस कलयुग लेके बैठे है
यहॉं राम के भेस मे  रावण छुपे रहते है 
ना ! हम ना केहते हम है सिया जितने पावण
मगर हर पेहेर अग्निपरीक्षा देणे के बाद भी 
गुन्हेगार हम ही 
तो क्या फिर भी 
हम ही गलत ?
सवाल तो आते है ,
 मगर जबाब नहीं मिलता
उचली एक आवाज , तो समाज 
 "फेमिनिझम "केहके टालता 
अगर अभी भी द्रोपदी 
खुद की जगह 
कान्हा को आवाज दे
तो शायद हा, हम गलत!
अगर अभी भी मॉं 
बेटो को आजादी और  
बेटी को  समय के दायरे सिखाये
तो शायद अब हम गलत !
देख के ये विध्वंस सारा 
बस ! अब एक चिंगारी सी लगी है
अगर अभी भी इन चिंगारी को बुझने दु युंही 
समय के अंत तक 
तो हॉं शायद , 
अब हम गलत ....
अब हम गलत !
         

               - शुभदा राजेंद्र शिर्के 🌻


Comments

Post a Comment

Popular Posts